The Ultimate Guide To Shodashi

Wiki Article



पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

The reverence for Goddess Tripura Sundari is obvious in just how her mythology intertwines Along with the spiritual and social fabric, providing profound insights into the character of existence and The trail to enlightenment.

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

The observe of Shodashi Sadhana is usually a journey toward both equally satisfaction and moksha, reflecting the dual character of her blessings.

The Mahavidya Shodashi Mantra is likewise a powerful tool for all those seeking harmony in individual associations, creative inspiration, and steering here in spiritual pursuits. Typical chanting fosters emotional healing, enhances intuition, and assists devotees entry bigger wisdom.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

The essence of such events lies in the unity and shared devotion they encourage, transcending personal worship to produce a collective spiritual ambiance.

Her narratives generally highlight her role during the cosmic fight versus forces that threaten dharma, thereby reinforcing her posture being a protector and upholder on the cosmic purchase.

यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।

Report this wiki page